होली पर राजस्थानी कविता
होळी गीत 'धमाळ'
सैर मै बैठ्या गांव उडीकै,
कार-बार नहीं छोड़ उठिजै।
अंतस फागण हिलोर उठावै,
चंग धमीड़ा री याद दिरावै।
बेली भायलां नै फोन मिलावै,
केवै,अबकै होळी जोर बतावै।
गांव रो जनसंघ खाटू जासी,
श्याम धणी रै धोक लगासी।
चालौ साथीड़ा गांव चालस्यां,
काम-काज नै फैर दैखस्यां।
पचरंग बसंत री मौज लूटस्यां,
चंग,गुलाल अर गैर खेलस्यां।
©पवनकुमार राजपुरोहित
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