बेटा और बेटी

 बेटी बडी हुवै तो,

घर गा नै चिंत्या हु ज्यावै।

बेटो बडो हुवै जद,

वींनै घर गी चिंत्या सतावै।।

इयां मत जाणो कै,

फगत बेटी ई घर बसावै।

बेटो घर सामणनै,

जग्यां जग्यां धक्का खावै।।

बेटी रै सासरो बी,

खुद रो घर सो बण जावै।।                        

पण लाडेसर बेट नै,

वो घर रोजीनां याद आवै।।

सैंस मुंडा सैंस बातां,

ओ जग झूटा भाटा भिड़ावै।

बेटो कम न बेटी कम,

कलम पवन री साच बतावै। 




  ©पवनकुमार राजपुरोहित

                         

      


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