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प्रेम और प्यार सबद अलग अलग है ! प्रेम अर प्यार

प्रेम अर प्यार ऄ दोनूं सबद ऄक दूजै रा पर्याय है,पण आज कल रै लोगां री ओछी अर सुवारथ वाळी सोच रै कारण आं सबदां मै एक भांत रो फरक पैदा कर देवै। जगत मै प्रेम ई ऄक ऄड़ो है जकै सूं आपां ऄक दूजै री पीड़ अर मन री बात जाण सकां। वो प्रेम चाहै मिनखां सूं हुवै या पछै कोई जीव जिनावर सूं।आपां सगळा प्रेम री आस करां।प्रेम जठै ऄक प्रकार सूं काळजै नै सुहावै है बठै ई प्रेम रो दूजो नांव प्यार है वो थोड़ी'क मन मै इयां संका सी पैदा कर देवै।वो बी फगत बां लोगां री सोच रै कारण पैदा हुवै जका माड़ी सोच राखै। आपां जे आपणै कोई मित्र या पछै मैत्रिणी सूं इयां केवां कै म्हनैं थां सूं घणो प्यार है तो सामलै रै मन मै एक भांत री संका अर डर दोनूं बैठज्या।कणा कणाई ओ प्यार सबद इयां लागण लागजै जाणै वासना सूं भरियोड़ो है अर ओ इण वास्तै लागै कै दुनियां मै ज्यादातर लोग वास्तव मै प्यार रै नांव नै ढाल बणा'र खुद री वासना नै स्यांत करनै री इच्छा राखै है।पण जका लोग हकीकत मै कोई सूं हेत करै है बां नै आं सुवारथी अर कामी लोगां रै कारण एक संकुचित अर आत्ममंथन वाळी सोच रै सागै जीवणो पड़ै है,क्यूं कै बे आ सोचै जे आपां कोई रै आगै प्रेम रो...

राजस्थानी बातां

माटसा री नोकरी सरकारी महकमै मांय आपां सगळा सूं सोरी गरुजी री नोकरी मानां, पण आपणै सोचण मै अर मास्टरजी रै असल जीवन मै रात दिन रो फरक है।नोकरी लागै उण बगत तो कुण बी हुवौ वो घणो राजी हुवै अर गुरजी सगळा सूं बेसी हुवै। क्यूँ कै वे आवण वाळी पीढ़ीयां रो मारग उजाळनै री त्यागत राखै।टाबरां रो जीवन सुखी बनावण खातर वे खुद रै जीवन रो ऄक ऄक पल निछरावर कर देवै।पण नोकरी करतां करतां ऄक बगत ऄड़ौ बी आवै जिण टेम नोकरी खारी लागण लागजै! वो बगत हुवै बदळी(ट्रांसफर) रो।गरुजी लगोलग च्यार पांच साल ऄक ई इस्कूल मांय पढ़ाता रेवै जण बठै रा टाबरां सूं उणारो हेत अतरो गाढो हु जावै कै जे राज सूं बदळी रो आदेस आवै तो मन भौत घणो दुखी हुवै।पैली कीं सोशल मीडिया जैड़ा साधन कोनी हा जण आपां आम लोकां नै ठा बी कोनी पड़तो कै कुणसा गुरजी री कठै बदळी हूई है।पण आज रै सोशल मीडिया रै जमाने मै आपां देखां कै कई मास्टरजी इस्कूल सूं व्हीर होंवती टेम आंसू टळका बोकरै।आ पीड़ है जकी इयां कोनी कै अठै तांई ई रैहसी! आ पीड़ा आगै जासी तो बी त्यार रैहसी। नुंई ठौड़ गयां पछै दो च्यार बरस ओज्यूं हेत घलै अर बे ई राज रा आदेस।ओ सिलसिलो बठै तांई चालै जठै तांई...

धरम री धजा(राजस्थानी लेख)

परमात्मा चौरासी लाख जूण बणाई है, बीं मै सूं ऄक है मिनखां री।मिनख आं चौरासी लाख जूणीयां रो ऄकलो इस्यो जीव है जकै नै स्याणो समझदार बणायो अर चोखै माड़े री समझ दीन्ही। आपां नै भगती अर सुकरमां सूं सगती पा'ण रो अर ईसर नै सीधो मिलण रो सरळ मारग बतायौ। पण मिनख जात बीं भगती मारग कानी मुंडो करनो छोड'र सोचै कोनी आजकलै।आ कोनी कै सगळा जणा ई इस्या हुग्या ओज्यूँ बी है जका बापड़ा राम रो नाम लेवै आछा काम करै!कोई प्रेम सूं बतळावै जणा हंस'र जवाब देवै। अर कई इस्या बी है जका मिनखां री जूणी री धूड़ धाणी राख छाणी कर राखी है।आज इण जगत मै घणा'ई धरम है अर इणरी धजा ले'र फिरण आळा लाखूं मिंनख मिळै पण बीं धरम अर धजा रा काण कायदा के है वो बां'नै ठा कोनी ओज्यूँ तांई।साच बुझौ नीं तो आज रै समाज मांय धरम है ही कोनी। मैं बीं धरम री बात कोनी कर रह्यो है जको दुनिया सोचै।साचो धरम कांई है?ओ किण नै ई ठा कोनी।मिनख रो साचो धरम हुवै जीवन जीणै री पद्धत कै आपां किण सागै कांई बरताव करां,किण सूं हेत राखां।सरळ सबदां मै कैवूं तो मिनख रै चोखै करमां रो वो लेखौ-जोखौ जको खुद आदमी रै परिचै नै साबित करै है।आज रै समै मै ल...

🇮🇳आजादी का ये तिरंगा🇮🇳

आजादी का ये तिरंगा, आज हर घर फहरा रहा, गांव गली में एक ही चर्चा, मानो ये कुछ कह रह।   1.आजादी का ये तिरंगा🇮🇳   केसरिया सजा है माथै पर, बलिदानों की अमर कथा, साहस के उन पर्यायों और, वीरों की गाथा कह रहा। 2.आजादी का ये तिरंगा🇮🇳 फिर श्वेत रंग कटिबद्ध है, परम् शान्ति के भावों पर, मलिन से मलिन को भी, पवित्र पावन कर रहा।   3.आजादी का ये तिरंगा🇮🇳 हरा रंग है हरियाली का, प्रेरक है खुशहाली का, मन में रोज उमंग भर कर, सुखी सम्पन्न कर रहा।   4.आजादी का ये तिरंगा🇮🇳 बीच का ये अशोक चक्र, ले लेता दुश्मन से टक्कर, देश की अखंडता खातिर, सतत निरंतर घूम रहा। 5.आजादी का ये तिरंगा🇮🇳    ✍️©पवनकुमार(मामा)