धरम री धजा(राजस्थानी लेख)
परमात्मा चौरासी लाख जूण बणाई है, बीं मै सूं ऄक है मिनखां री।मिनख आं चौरासी लाख जूणीयां रो ऄकलो इस्यो जीव है जकै नै स्याणो समझदार बणायो अर चोखै माड़े री समझ दीन्ही। आपां नै भगती अर सुकरमां सूं सगती पा'ण रो अर ईसर नै सीधो मिलण रो सरळ मारग बतायौ। पण मिनख जात बीं भगती मारग कानी मुंडो करनो छोड'र सोचै कोनी आजकलै।आ कोनी कै सगळा जणा ई इस्या हुग्या ओज्यूँ बी है जका बापड़ा राम रो नाम लेवै आछा काम करै!कोई प्रेम सूं बतळावै जणा हंस'र जवाब देवै। अर कई इस्या बी है जका मिनखां री जूणी री धूड़ धाणी राख छाणी कर राखी है।आज इण जगत मै घणा'ई धरम है अर इणरी धजा ले'र फिरण आळा लाखूं मिंनख मिळै पण बीं धरम अर धजा रा काण कायदा के है वो बां'नै ठा कोनी ओज्यूँ तांई।साच बुझौ नीं तो आज रै समाज मांय धरम है ही कोनी। मैं बीं धरम री बात कोनी कर रह्यो है जको दुनिया सोचै।साचो धरम कांई है?ओ किण नै ई ठा कोनी।मिनख रो साचो धरम हुवै जीवन जीणै री पद्धत कै आपां किण सागै कांई बरताव करां,किण सूं हेत राखां।सरळ सबदां मै कैवूं तो मिनख रै चोखै करमां रो वो लेखौ-जोखौ जको खुद आदमी रै परिचै नै साबित करै है।आज रै समै मै लोक धरम,जात-पात,तीज तिंवार रै नांव सूं लड़नै लाग रह्या है। ओर तो ओर परिवार कड़ुमौ बी ईं इण रै धक्कै चढ़ग्यो। हर समाज री दुरगति हुरी है।आज कालै तो परिवार ई बोल उधड़णन लाग ग्या कै ऄक भाई दूजै भाई रै कैवण सूं वोट ई नईं देवै तो आपसी बोल चाल बंद कर देवै।खैर! आपणा बडेरा रीं रीत अर निंवत ही कै जकै घर मै बेटी ब्याह दी बीं घर सूं आपां कोई भांत री चीज रा लेवाळ कोनी रह्या। इण रो सीधो कारण कै बेटी नै कीं न कीं देया करै है लेवै कोनी। ईं सूं बडेरा रीं पुन री भावना जुड़्योड़ी ही कै जतरो धन अर सनमान बेटी नै देस्यां बित्तो ई आपां नै पुन रो फळ मिलसी।पण आज ईं सूं उंदो होवण लाग ग्यो।सुवारथ इत्तो पसरग्यो समाज मै कै ऄक दूजै माथै बिस्वास कोनी करै।अर इरो मोटो उदारण है आटो साटो। आटो साटो समाज रो वो चितराम है जको नुंवो नुंवो चोखौ लागै अर छैकड़ मन नै सेधण लागजै।इण मांय न तो बडेरां री वा सीख याद रेवै जकी बेटी रै घर सारू दियोड़ी ही अर न ई वो धरम जको सिखावै कै बेटी रै घरां सूं कीं नी लेवणो। अठै आंवता लोगां नै फगत खुद रो सुवारथ दीसै अर धरम री धजा फाटज्यावै।इणमै कोई ऄक-दो जणा रो दोस कोनी है सगळी मिनख जात रो है।खुद सुवारथी हो'र आपां समाज बदळनै रा सपना देखां अर बातां करां! कदैई नीं बदळ सकां ला।जे समाज बदळणो है तो बुढियां री बां बातां नै अर साचै धरम री साची धजा नै थापित करनी पड़सी जणैई कोई आपां आगै बधस्यां।
©पवनकुमार राजपुरोहित✍️
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