प्रेम और प्यार सबद अलग अलग है ! प्रेम अर प्यार

प्रेम अर प्यार ऄ दोनूं सबद ऄक दूजै रा पर्याय है,पण आज कल रै लोगां री ओछी अर सुवारथ वाळी सोच रै कारण आं सबदां मै एक भांत रो फरक पैदा कर देवै।

जगत मै प्रेम ई ऄक ऄड़ो है जकै सूं आपां ऄक दूजै री पीड़ अर मन री बात जाण सकां। वो प्रेम चाहै मिनखां सूं हुवै या पछै कोई जीव जिनावर सूं।आपां सगळा प्रेम री आस करां।प्रेम जठै ऄक प्रकार सूं काळजै नै सुहावै है बठै ई प्रेम रो दूजो नांव प्यार है वो थोड़ी'क मन मै इयां संका सी पैदा कर देवै।वो बी फगत बां लोगां री सोच रै कारण पैदा हुवै जका माड़ी सोच राखै। आपां जे आपणै कोई मित्र या पछै मैत्रिणी सूं इयां केवां कै म्हनैं थां सूं घणो प्यार है तो सामलै रै मन मै एक भांत री संका अर डर दोनूं बैठज्या।कणा कणाई ओ प्यार सबद इयां लागण लागजै जाणै वासना सूं भरियोड़ो है अर ओ इण वास्तै लागै कै दुनियां मै ज्यादातर लोग वास्तव मै प्यार रै नांव नै ढाल बणा'र खुद री वासना नै स्यांत करनै री इच्छा राखै है।पण जका लोग हकीकत मै कोई सूं हेत करै है बां नै आं सुवारथी अर कामी लोगां रै कारण एक संकुचित अर आत्ममंथन वाळी सोच रै सागै जीवणो पड़ै है,क्यूं कै बे आ सोचै जे आपां कोई रै आगै प्रेम रो प्रस्ताव रखांला तो सामलो आपणै बारे मै कीं गळत नहीं सोच लेवै या इयां सोच लेवै कै आपां नै कोई सुवारथ है। सुवारथी लोगां री आ सोच साचो प्रेम करवा वाळा रै बिचै अडबळी रो काम करै है,आपां नै इज आ अडबळी ऄकानी मै'लणी पड़सी।जे प्रेम करणो ई है तो नि:सुवारथ भाव सूं करो चाहै किण सूं ई करो। जद ई तो भगवान कृष्ण कैयो कै प्रेम वो नहीं है जको थानै कोई संबंध मै बांधै! प्रेम वो है जको दो लोग हमेसां खुद रै हिड़दै मै राखै।


©पवनकुमार राजपुरोहित


©पवन कुमार राजपुरोहित✍️

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

सावण सायरी

आजादी

करणी माता भजन देशनोक दरबार