मैं और मेरा मन(कविता)

 मेरा मन गुफ्तगू का शौकीन है,

पर,यहाँ गुफ्तगू करता कौन है?

प्रत्येक अंतरजाल में फसा हुआ,

एक-दूजे की सुध लेता कौन है?

मैं चाहे कितना भी अकेला रहूँ,

साथ निभाने को पूछता कौन है?

खुदगर्ज यहाँ पर मिल जाएंगे,

लेकिन मेरी फिक्र करता कौन है?

किसी को कुछ कहूँ,या न कहूँ,

कवि कुमार की सुनता भी कौन है?

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