राजस्थानी नै बिसरा दी।

 आपणै अठै बूढा बडैरा कैया करै कै आजकाल रा टाबर सेंसकारां नै भूल ग्या अर बेन बेटीयां आपणा गीत अर भजनां नै भूलगी।अब बायां लांणा कांई करै! इण मांय सगळो दोस बैनां रो कोनी। इण मै चिनो'क बायां -टाबरां रो है पण घणकरो सरकारां रो अर आपणो है।सरकार रो तो इयां है कै बे है जका भासा री मानता खातर आज तांई की कोनी करियो अर आपणो इयां है कै आपां खुद आपणी भासा नै सनमान कोनी देवां अर न दियो कदी।थे कदी सुण्यो कांई कै बंगाल,तमिलनाडु,अर महाराष्ट्र रो मिनख बठै री मायड़ भासा है जकी नै बोलै कोनी! पण आपणै अठै इस्या कई लाध ज्यासी जका रै सागै आपां राजस्थानी बोलस्यां जणा बे है जका हिन्दी का पछै कोई दूजी ओपरी भासा मै जवाब देसी। अरे तो हीया फुटेड़ा तनै ठा नी है कै थारी पिछाण दूजी जगां गयां पछै इण ही मायड़ भासा सूं हुसी।मैं ऄक कहाणी सुणी कै ऄक टाबर हुवै जको पढ़बां तांई बा'रै परदेस जावै अर वो पढ़-लिख'र पाछौ आयो जद खुद री मां सागै बठै री भासा मै बंतळ करबां लाग्यो जणा मां है जकी कांई कैयौ ठा है?मां कैयौ थूं म्हारौ बेटो नी हु सकै थूं कोई दूजो ही है, जणा बेटो बोल्यो कै मां थूं इयां कियां कैवै जण मां बोली कै मैं थनै दूध पायो उणरै साथै जकी भासा सिखाई उण भासा नै भूल्यो कियां! पछै पूत रै भी समझ आगी कै मां भासा तो मां भासा ही हुवै।

कई है जका दूजी जगां रेवै पण आपरी मायड़ भौम नै कदैई नी भूलै।क्यूं कै बां नै ठा है "परायो देस प्रीत नी राखै,पण मायड़ हीय लगाय राखै।

मतलब कै दूजी जगां आपां फगत पावणा हां बे आपां नै कदै भी काढ़ सकै पण मायड़ भौम है जकी हमेस हीय लगासी।

आप सगळा सूं हाथ जोड़'र अरज है कै आपणी मायड़ भासा नै बेसी सूं बेसी बरतो अर मांडो!

जै राजस्थान जै राजस्थानी



                          !! राजस्थानी हेताळु!!

                            पवनकुमार राजपुरोहित

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