राजस्थानी कविता

दिखावटी प्रेम 

दिखावट रै इण दौर मांय

म्हारी आस,सपना न्यारा है

जगत री बात ई ना करौ,

सब लंफै चांद सितारा है,

मैं आं सब सूं दूर एकलो

सांची प्रीत रो हमराही हूं

कोई मनै जाण सकै तो,

मैं पवन प्रेम री गहराई हूं। 

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